ज़िंदगी दर्द पर दर्द दिए जा रही है
और आप कहते हैं कि जो भी हो
हमेशा मुस्कुराते रहिए,
जी हाॅं जनाब हम खुद भी यही करते हैं।
दर्द तो ख़त्म होंगे नहीं पर शायद कुछ तो
सुकून मिल जाए,
इसीलिए हमेशा चेहरे पर ऐसी मुस्कान लिए
फिरते हैं मानो कभी गमों ने हमे छुआ ही नहीं।।
ज़िंदगी रुलाए जा रही है
और आप कहते हैं कि हमेशा हॅंसते
और हॅंसाते रहिए,
जी हाॅं जनाब हम भी यही करते हैं।
हॅंसने का नाटक करते - करते अब तो
हॅंसने के इतने आदी हो गए हैं
कि बिना हॅंसे हम रह नहीं सकते हैं।।
ज़िंदगी थकाए जा रही है
और आप कहते हैं कि मज़बूत बने रहिए,
जी हाॅं जनाब हम भी यही करते हैं।
बहुत कुछ सहते - सहते इतना मज़बूत हो गए कि
अब सिर पर पहाड़ गिर जाए तो
उसे भी थाम लेंगे।।
🌼 रीना कुमारी प्रजापत 🌼
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




