"ग़ज़ल"
हम थके मुसाफ़िर को मंज़िल का पता दे दो!
गर मौत ही मंज़िल है हमें जाम-ए-फ़ना दे दो!!
हम लौट के दुनिया से बड़ी टूट के आए हैं!
जीने की सज़ा पा ली मरने की सज़ा दे दो!!
तुम दिल के तालिब हो हम जान भी दे देंगे!
बदले में वफ़ा के तुम बस हम को वफ़ा दे दो!!
मैं तक़दीर का मारा हूॅं कोई शिकवा नहीं तुम से!
हो मुझ पे क़हर नाज़िल मुझे अपनी ख़ता दे दो!!
'परवेज़' इस दुनिया में जीने की नहीं ख़्वाहिश!
मरने की तमन्ना को कुछ और हवा दे दो!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*गर = अगर (if); *जाम-ए-फ़ना = मौत का जाम (a glass of mortality); *तालिब = तलबगार या चाहने वाला या इच्छुक (asking or desirous); *शिकवा = शिकायत (complaint); *क़हर = प्रकोप या आफ़त (devine wrath or calamity); *नाज़िल = आसमान से आना या पेश आना (descending or alighting or revealed); *ख़ता = क़ुसूर या ग़लती (mistake or fault); * ख़्वाहिश = इच्छा या तमन्ना (wish or desire); *हवा देना = बढ़ा देना या भड़का देना (to instigate or to provoke).