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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बाकी रहती है

जिंदगी में हमेशा "उनकी" इनायत बाकी रहती है
सब कुछ पाकर भी, शिकायत बाकी रहती है

लालच की जिंदगी में, लालची लालची मन है
जिंदगी भर लालच की,चाहत बाकी रहती है

चांद तो फलक पर है,पर सितारे किधर है
चांदनी में नहाकर भी,हसरत बाकी रहती है

जिंदगी मेला है,पर, क्यूं ये मन अकेला है
फिरते मन को, भीड़ की,रफाकत बाकी रहती है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (12)

+

Ankush Gupta said

वाह!! बेहतरीन पंक्तियाँ, लाज़वाब

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अंकुश जी धन्यवाद, नमस्कार।

अमित श्रीवास्तव said

शानदार अभिव्यक्ति चांद तो फलक पर है,पर सितारे किधर है बहुत खूब वाकई लाज़वाब

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।🙏🙏

शिवचरण दास said

बहुत सुन्दर मनोज जी

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अमित जी, सुभाष जी, शिवचरन जी, प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आभार नमस्कार।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

"उनकी" Inayat शिकायत,रफाकत,हसरत,चाहत bahut sundar turant shabdon ke sath khoobsoorat rachna, chand to falak par hai aur chandni me nahakar bhi hasrat baaki rahti hai jese vaakyansho se bhasha ki sundarta nikhar aati hai,, shandaar abhivyakti Adarneey ko saadar pranam🙏🙏

श्रेयसी said

वाह बहुत सुंदर बहुत ख़ूब 👌👌🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अशोक जी, रचना के एक एक शब्द को पढ़ पढ़ कर रचना के भावों को महसूस कर आपने जो दिल से समीक्षा की है, अभिभूत हो गया हूं, दिल से दिल से दिल से शुक्रिया। सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

श्रेयसी मेम धन्यवाद।

वन्दना सूद said

चांद तो फलक पर है,पर सितारे किधर है चांदनी में नहाकर भी,हसरत बाकी रहती है👌👌👏👏😊वाह sir क्या खूब लिखते हैं आप

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वंदन मेम धन्यवाद।

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