जिंदगी में हमेशा "उनकी" इनायत बाकी रहती है
सब कुछ पाकर भी, शिकायत बाकी रहती है
लालच की जिंदगी में, लालची लालची मन है
जिंदगी भर लालच की,चाहत बाकी रहती है
चांद तो फलक पर है,पर सितारे किधर है
चांदनी में नहाकर भी,हसरत बाकी रहती है
जिंदगी मेला है,पर, क्यूं ये मन अकेला है
फिरते मन को, भीड़ की,रफाकत बाकी रहती है
सर्वाधिकार अधीन है