कुछ है जो अनजाना सा है,
कुछ है जो बेगाना सा है।
महसूस होता है पर दिखता नहीं,
लगता वो जाना पहचाना सा है।
फिलहाल उसका कुछ पता नहीं,
वो कहां है कहां नहीं ये मुझे मालूम नहीं।
अक्सर ख़्वाबों में आता रहता है,
पर वो हक़ीक़त है या नहीं ये मुझे ख़बर नहीं।
है कौन वो? बार-बार मन में यही सवाल उठता है,
क्यों इस तरह वो ख़्वाबों में आता रहता है?
क्या ये पुनर्जन्म का मेल है?
या फिर मेरी कल्पना का खेल है।
जब भी ख़्वाबों में आता है
अपना चेहरा बदलकर आता है,
पर हर चेहरे में रिश्ता एक ही बनाता है।
जाने क्यों वो अपना रूप बदलता रहता है,
क्या है ये सब? यही विचार बड़ा सताता है।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐