कभी गर्मी में बरसात
तो कभी बरसात में हाय गर्मी
आधी गर्मी अधूरी बरसात
कभी दिन में टपकता पसीना
तो रात में चादरों तले गुज़ारा
ये मौसम भी जरा हटके है
न जाने
गर्मी कहूं इसे
या सर्द ,या ये है बरसात
पर
पहले तो न था ऐसा
पहले थी गर्मी में गर्मी
ठंडी में सर्दी
और बरसात में बरसात
तो बता मौसम
ये क्या हाल हुआ तेरा है
क्यों तू क्षण क्षण बदलता है आज
क्या है तेरे बदलने का राज़?
मौसम ने कहा -
तुम सब।