इश्क में हम को नींद सौतन जैसी लगती।
नींद की कीमत मत पूछो जिन्हें न लगती।।
गले लगाने की आदत प्रिय ज़न को भाई।
देखने वालों को शायद मैं भली न लगती।।
कुछ पूछे तुम हर हालत में कैसे हँस लेती।
चिढ़ने वालों को मैं कभी भली न लगती।।
जब आँखों में सच्चाई हो और गहराई हो।
तब धोखा देने वालों को भली न लगती।।
मैंने हँस कर बोला तजुर्बा से फन सीखा।
ग़ैरत वालों को 'उपदेश' मैं भली न लगती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद