माँ ने छोड़ दिया
चूमना माथा स्नेह से
शायद बड़ा हो गया हूँ
उनकी नजर में देह से
सूरज उगने के बाद
जगाया गया मेहरबानी से
सींचा गया मुझको रोज
अनुभव के पानी से
लोग कहने लगे 'उपदेश'
अस्तित्व के बहाने से
जन्म किस लिए लिया
माना नही समझाने से
ख्वाहिशें दम तोड़ देंगी
हाथ रहा कुछ आने से
पढ़कर मजदूर का बेटा
नौकर बन गया बताने से
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद