कोई माला मॉल है कोई यहां कंगाल है
कोई यहां खा रहा कोई यहां चबा रहा
ये दुनियां अजीव है
कोई यहां बजा रहा कोई यहां गा रहा
कोई यहां नाच रहा कोई यहां हंस रहा
ये दुनियां अजीव है
कोई काम कर रहा कोई आराम कर रहा
कोई फालतू घूम रहा कोई यहाँ झूम रहा
ये दुनियां अजीव है
कोई खा रहा पी रहा कोई मजे से जी रहा
कोई भूखा सो रहा कोई यहां रो रहा
ये दुनियां अजीव है
कोई यहां लटक रहा कोई फिर भटक रहा
कोई यहां डर रहा कोई फिर मर रहा
ये दुनियां अजीव है
कोई यहां सुखी है कोई यहां दुखी है
कोई यहां होन हार है कोई यहां बेरोजगार है
ये दुनियां अजीव है
किसका यहां प्यार है किसिका यहां इनकार है
कोई यहां मस्त है कोई यहां जबरदस्त है
ये दुनियां अजीव है
ये दुनियां अजीव है........
----नेत्र प्रसाद गौतम