हवाओं पे लिखकर तेरा नाम
तुझे सलाम भेजा है।
मुझे है बस तेरी जुस्तजू बस यहीं
पैगाम भेजा है।
गर हो तुझे कुबूल तो मुस्कुरा देना।
अपने आंचल को तुम लहरा देना।
कि छनकर तेरी आंचल से
हवाओं पर भी एक खुमारी
छा जाएगी।
आसमानी परिदों में भी एक नई
जान आ जायेगी।
समझ लूंगा मैं की तेरी भी हां है ,
तेरे दिल में भी मेरे लिए
मोहब्बत जवां है।
चाहें कहीं भी रहें हम
महसूस तो तुझे करतें हीं हैं ।
वो अलग बात है कि थोड़ा डरतें भी हैं।
कहीं ज़माने में कुछ गलतफहमियां
ना पनप जाएं........
चाहें जो कुछ भी हो तेरे मेरे दरमेयां...
भनक लग जायेगी तो कसक निकाल
हीं लेगी ये दुनियां।
भरे बज़्म में तोहमतें लगा हीं देगी ये दुनियां
इसलिए दूरी हीं सही है..
सुजीत आनंद ने क्या खूब कही है
कि जिस्मों का मिलना प्यार नहीं हवस है
असल में दिलों दिमाग का मिलना हीं पावक है।
सो ये दूरियां मजबूरियां नहीं
ये हीं तो दिल की राहत है।
ये हीं तो दिल की असली चाहत है।
दोस्तों मिलना बिछड़ना तो नसीबों का खेल है।
पर दिलों का मिलना हीं असल प्रेम है..
दिलों का मिलना हीं असल प्रेम है ...