बच्चो सुनो तुम एक अफसाना
किस्सा सुनो तुम ये पुराना।
एक बकरी के दो बच्चे थे
मन के पर बहुत ही सच्चे थे।
नाम थे उनके आला-बाला
पहन कर रहते थे जो माला।
आला-बाला को लगी थी भूख
बकरी उनकी सुरक्षा में चाहती नही थी कोई भी चूक।
बकरी परेशान हो गई, कैसे वो बाहर जाएगी
जान से प्यारे बच्चो को अब कैसे वो बचा पाएगी।
पर बच्चो की खातिर उसको तो बाहर जाना था
बकरी बोली बच्चो मैं परेशान हूँ तुम्हे भेद एक बताना था।
बंद रखना तुम दरवाजे को इसको तुम ना खोलना
आएगी जब मां तुम्हारी तुम से वो बोलेगी
आला-बाला खोलो तुम ताला,तभी दरवाजे को तुम्हे है खोलना
भेडिया ये सब सुन रहा
खाने के आला-बाला को सपने था वो बुन रहा।
जाते ही बकरी के आकर भेड़िया बोला
आला-बाला खोलो तुम ताला
बच्चो ने समझा मां की है पुकार
भेड़िए के जीवन मे मानो आ गई हो बहार।
बच्चो ने जैसे ही ताला खोला
आकर पास उनके भेड़िया बोला।
आ जाओ मेरे पेट में आला-बाला
भूख को अब नही जा सकता टाला।
बच्चे अब उसके पेट मे थे
घर पहुँच के बकरी समझ गई
बच्चे अब किसकी लपेट में थे।
दौड़ी वो देखा भेड़िया सो चुका था
नींद मे वो पूरी तरह खो चुका था।
बकरी ने उसका पेट दिया फाड़
निकल गया भेड़िए का दम,पर आँखे रही थी बकरी को ताड़।
जिंदा थे उसके आला-बाला
जीत में बकरी ने विजय गीत ही गा डाला।
-राशिका।
-बकरी और भेड़िए की कहानी पर आधारित