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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आला-बाला

बच्चो सुनो तुम एक अफसाना
किस्सा सुनो तुम ये पुराना।
एक बकरी के दो बच्चे थे
मन के पर बहुत ही सच्चे थे।
नाम थे उनके आला-बाला
पहन कर रहते थे जो माला।
आला-बाला को लगी थी भूख
बकरी उनकी सुरक्षा में चाहती नही थी कोई भी चूक।
बकरी परेशान हो गई, कैसे वो बाहर जाएगी
जान से प्यारे बच्चो को अब कैसे वो बचा पाएगी।
पर बच्चो की खातिर उसको तो बाहर जाना था
बकरी बोली बच्चो मैं परेशान हूँ तुम्हे भेद एक बताना था।
बंद रखना तुम दरवाजे को इसको तुम ना खोलना
आएगी जब मां तुम्हारी तुम से वो बोलेगी
आला-बाला खोलो तुम ताला,तभी दरवाजे को तुम्हे है खोलना
भेडिया ये सब सुन रहा
खाने के आला-बाला को सपने था वो बुन रहा।
जाते ही बकरी के आकर भेड़िया बोला
आला-बाला खोलो तुम ताला
बच्चो ने समझा मां की है पुकार
भेड़िए के जीवन मे मानो आ गई हो बहार।
बच्चो ने जैसे ही ताला खोला
आकर पास उनके भेड़िया बोला।
आ जाओ मेरे पेट में आला-बाला
भूख को अब नही जा सकता टाला।
बच्चे अब उसके पेट मे थे
घर पहुँच के बकरी समझ गई
बच्चे अब किसकी लपेट में थे।
दौड़ी वो देखा भेड़िया सो चुका था
नींद मे वो पूरी तरह खो चुका था।
बकरी ने उसका पेट दिया फाड़
निकल गया भेड़िए का दम,पर आँखे रही थी बकरी को ताड़।
जिंदा थे उसके आला-बाला
जीत में बकरी ने विजय गीत ही गा डाला।
-राशिका।
-बकरी और भेड़िए की कहानी पर आधारित




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Aapne bachpan ki priy kahani ko bahut sundar dhang se kavya roop m prastut kiya hai Anand aagaya bachpan ko yad karke or is kahani ko naye andaz m sunkar

Raghav said

Bachpan ki khani ka itna sundar pradarshan. Meri dadi gaon m sunati thi aaj agr bo hoti to unhe ye sunata to apki kala ki bahut tarif krti or aashirwad deti. Keep it up sister😊😊

Rashika said

Raghav ji ये कहानी बचपन मे मेरे माता-पिता सुनाते थे। दुर्भाग्य वश वो भी अब मेरे साथ नही है।लेकिन आपके द्वारा की गई इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया ने मेरी आँखे ही नम कर दी।आपकी दादी जहाँ कहीं भी हो ईश्वर उन्हे हमेशा खुश रखे।

Rashika said

अशोक कुमार पचौरी जी धन्यवाद, सर ये कहानी बचपन में बहुत बार सुनी थी आज ये कहानी फिर याद आ गई। बस इसे कविता का रूप दिया है।

Arpita pandey said

बहुत खूब टु इन वन कहानी और कविता भी सादर नमन

Rashika said

धन्यवाद अर्पिता जी,सादर नमन

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