इंतजार रहता है तुम्हारे ऑनलाइन आने का।
अँधेरे का उजाले की आड़ में दुबक जाने का।।
अब तुम मैसेज नहीं करती फिर भी खुश रहा।
सुबह की आस तूँ ही मेरी तुझ मे डूब जाने का।।
एहसास सलामत अब भी बिल्कुल अतीत जैसा।
जिस्म दूर होकर भी 'उपदेश' के पास रहने का।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद