खुरच खुरच कर घाव को नासूर बना दिया
अच्छे खासे लोग को असुर बना दिया।
मेहनत के नाम पर नील बट्टा सन्नाटा है।
गरीबी एक सभ्य समाज पर चाटा है।
सब अपने फ़िराक में लगें हैं ।
सबों ने सबों को ठगें है।
बस सभी को मुफ़्त वाली राशन
फ्री में मिलने वाला भाषण
ना शासन प्रशासन ना अनुशासन।
सिर्फ़ स्यंभू सरकार चाहिए।
दरों दीवारों पर सिर्फ नाम चाहिए।
जो कुछ भी हो सरेआम चाहिए।
मच रहा केवल बवाल है।
उत्तर का पता नहीं ढेरों सवाल है।
कहिए जनाब आपका क्या ख्याल है ?
जीवन पथ पर क्यूं मचा बवाल है ।
सिर्फ़ सवाल है सवाल...
सिर्फ बवाल है बवाल...
सिर्फ सवाल है सवाल...
सिर्फ बवाल है बवाल...