मैं भी जब जब तुम्हारे बिन मन लगाता।
लगता नही उड़कर तेरे पास मन जाता।।
ग़मों की बरसात खपरैल के नीचे होती।
सिसकियाँ भर कर तेरे पास मन जाता।।
इस तरह इश्क में हारा है दिल 'उपदेश'।
तन्हा दर्द में छोड़कर तेरे पास मन जाता।।
तुम दिल हो मेरी दुनिया के ज़ज्बात हो।
दिन कट जाता रात तेरे पास मन जाता।।
कुछ कहना चाहता मगर कुछ कह जाता।
मदहोशी के आलम में तेरे पास मन जाता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद