अंकी लाल है भ्रष्टाचारी, देश का ये दुखड़ा भारी।
रिश्वत लेता है रोजाना, जेब भरता है अपना खाना।
दफ्तर में बैठा राजा सा, करता है भ्रष्टाचार का नाचा।
फाइलों पर होता है दस्तखत, जेब में भरता है नोटों का कट्टा।
कहता है, ये सब काम का है, बिना रिश्वत कुछ नहीं आए।
गरीबों की हालत देखता नहीं, अमीरों का ही साथ निभाता है।
दस रुपये से लेकर लाखों तक, लेता है रिश्वत की टोकन।
कभी गाड़ी कभी बंगला, करता है अपना जीवन आनंदमय।
लोग कहते हैं, अंकी लाल है चालाक,
लेकिन दिल में है एक बड़ा सा तालाब।
कानून का डर नहीं है उसको, करता है मनमाना काम।
जैसे चोर छुपकर करता है काम।
एक दिन पकड़ा गया अंकी लाल, तब पता चला सारा हाल।
लोगों ने कहा, अब हुआ इसका अंत,
लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से शुरू हुआ खेल।
अंकी लाल जैसा भ्रष्टाचारी, हर जगह मिल जाता है।
देश की दशा खराब करता है, विकास को रोकता है।
ऐसे लोगों को सबक सिखाना होगा, तभी देश का भला होगा।
नहीं तो ये भ्रष्टाचारी, देश को डुबा देंगे।
हम सबको, गरीबी में मरना पड़ेगा।