हर कोई अपना भाग्य विधाता --------
पतन के उपरांत ही तो हमेशा उत्कर्ष होता है ,
हर सघन से अर्जित भी हमेशा ही हर्ष होता है।
नये पध पर चलने के लिए कुछ विमर्श होता है,
नया पाने की खातिर जिंदगी में संघर्ष होता है ।
सागर से मोती पाने को गोता लगाना होता है,
व्यक्ति निज बल अपना भाग्य विधाता होता है।
अकर्मण्य व्यक्ति हमेशा भाग्य का रोना रोता है,
कर्मवीर प्राणी के पैरों तले सारा जहां होता है।
नया सीखने वाले हमेशा आलराउंडर होते हैं,
जो जागने पर सपने देखते वो निर्माता होते हैं।
चिंता फिक्र नहीं सताती वो ही योद्धा होते हैं ,
सोने को भी सोना कर दें वही देशभक्त होते हैं।
----बीपी सिंह यादव
[मैनपुरी, उत्तर प्रदेश]