हर जन्म में मां भारती , तेरी बगिया का फूल बनाना
तेरे आंगन में मुरझा जाऊं , या ,धरती की धूल बनाना
भारत मां की सेवा में , मेरा सारा जीवन बीते
दिल में स्वाभिमान लेकर , रहूं देश पर जीते मरते
हिंदुस्तानी बच्चा कहलाकर , गर्व से सीना तान रहूं में
तूफानों की मोड़ दिशाएं , भारत को जय हिंद कहूं में
इतिहास हमारा गाता हे ,पराक्रमी वीरों की गाथा
भारत की स्वर्णिम धूल लगा , सजता है वीरों का माथा
अपने सिंहों को सीमा पर , तैनात सदा रखती हे मां
और सहादत पर बेटों के , गर्व कोख पर करती है मां
सीमा पर केवल मां का , लाल नहीं लड़ता है
लड़ती हे एक बहन की राखी , बनकर हाथों में तलवार
और नुकीली धार बना , लड़ता पत्नी का श्रंगार
बच्चो की वो कठिन प्रतीक्षा , आंखों का अंगार बनी
लड़ता हे एक पिता का ,अनकहा भाव देश के लिए प्यार बना
पहलगाम में जो गद्दारों ने ,आतंक मचाया
छीन बेटियों का सिंदूर , मशूमो का खून बहाया
प्रेम की होली उस दिन फिर , खूनी रंगो में बदल गई
किलकारी खुशियों बाली , सिसकियों में सहम गई
जिस बेटी को तुमने इतना , निर्बल अबला समझ लिया
उस बेटी ने चंडी बनकर , तुमको घुटनों पर गिरा दिया
कायर उन गद्दारों को , खाक बनाकर उड़ा दिया
जिस सिंदूर को तुमने , पहलगाम में छीना था
उसी सिंदूर ने शोला बनकर , एक एक दुश्मन को बीना था
जमी से लेकर आसमान तक ढूंढ निकालेंगे
सारे कायर गद्दारों का इतिहास मिटा देंगे
संयम को तुमने समझा था निर्बल सक्तिहीन
धरती से तुम्हारी हस्ती लेंगे सारी छीन
अपने देश की खातिर हम सब जान लगा देंगे
सारे गद्दारों का , इतिहास मिटा देंगे , बहुत हुई अब
क्षमा के लायक शत्रु की ओकात नहिं
अब तो केवल रण होगा आगे कोई बात नहिं