बिछा ले जाल लाख कोई
हमें कोई उलझा नहीं सकता
हैं हम इतने सुलझे हुए की
कोई उलझा नहीं सकता।
लगा ले ज़ोर चाहें जितना
हमारा तोड़ नहीं है।
है हम ऐसे लाज़वाब
और बेजोड़ की
हमारा जो़ड नहीं हैं।
है ऐसी हस्ती अपनी
की कोई मिटा नहीं पाया।
आयें लाख़ यहां
दम भर कर गए।
हमारी हस्ती कोई
मिटा नहीं पाया।
हैं हम राष्ट्रभक्ति वाले
राष्ट्रवाद हमारा फ़र्ज़ है।
डिगा नहीं सकता
इरादों को हमारी
नैतिकता ऐसी की
हमारा ईमान
कोई हिला नहीं सकता...
हमारा ईमान कोई
हिला नहीं सकता...