तू देखे मुझे, ना था ये असर,
ना इसकी खबर, मैं हूँ बे-खबर।
हाँ... मेरी आँखों में है,
तेरी यादों का घर... जो दिल में उतर।
सब है फ़ना जब से कदम तेरे,
छुए ये ज़मीन, हर पल लगे नया सफ़र।
मर्ज़-ए-इश्क़ में मैं हुआ हूँ फ़िदा,
तेरी बातों में ही है मेरी हर सुबह।
मेरे कानों में गूँजे तेरी आवाज़ें
भूल सकती नहीं है इनमें साँसें जो हैं,
ये कैसा जतन, ये कैसी नवाज़िश है
तू रूह में बसी, बातों में खास है।
हाँ.... तेरे बालों में फूल जो बग़ीचे के,
मेरी यादों को पिरोती तू माली के घर
क्यूँ इतना निखार, क्यूँ इतनी कसर
तेरी एक झलक पे मेरा सारा शहर...
बे-करार है, बे-क़ाबू है,
तेरी अदा सराहनीय है, जादू है।
हाँ! हाँ!
देख ले समंदर, तू भीगा है मेरे अंदर,
जो तू देखे मुझे, जाने दे सीधा घर।
बातें मेरी बुरी हैं, तो बातें मेरी ना कर,
मैं भूलता नहीं, मेरा दिल ये भूलता है भीतर!
ये यादें सिर्फ कहानी है, अधूरी सी कहानी है,
जो हर उस शख्स को मुझे तेरी बतानी है।
हाथों को तेरे काम पे लगाना नहीं ज़रूरी है,
तेरी माथे की बिंदिया को चाँद ना बताना ये मज़बूरी है।
नींदों में तू सपनों को सुलाना है, ठीक है,
पर इतना भी सुन ले, तू भीतर से फ़ीक है।
मेरी इन आँखों में एक लम्हा तू बिताना मत,
वरना तेरा भी हाल मेरे जैसा हो जाएगा फ़िर मत रोना आज रात!
- ललित दाधीच।।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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