अपने दोष मढ़ता रहा औरों पर,
कर्मों का ऐसा जल जला आएगा।
भगवान की यहां देर है अंधेर नहीं,
तू समझ नहीं पाएगा।
काले काले नाग है, डसने के लिए तैयार है ये।
जीभ लपलपाती है, भरने को अपनी जेबें तैयार है ये।
फ्री में फॉर्म आते, उन्हें भी ये बेच खाते ।
शुल्क जमा कराकर, रशीदें देने में टालम टोल करते।
अंकी इंकी डंकी लाल, है बड़े घोटालेबाज।
शिकायतों का लग रहा है अंबार, वे तो फैला रहे हैं भ्रष्टाचार।