दिखाकर आईना दूसरों को
खुद के चेहरे को छुपाते हैं लोग ।
खुद हजारों तोहमतों की लिहाफें ओढ़े
दूसरों की सिलवटों से घबराते हैं लोग।
क्या हुस्न क्या अदा क्या वफ़ा
हर मोड़ पर छल जातें हैं लोग ।
बनकर रहनुमा रहबर फिर
तड़पता छोड़ जातें हैं लोग।
जब तक आप उनके लिए उपयोगी हैं
तब तक मुस्कुराते हैं लोग
वरना बात बात बात बंद कर
नज़रें चुरातें हैं लोग।
खुद के चेहरे की सच्चाई से अक्सर
मुंह छुपाते हैं और
दूसरों के चेहरों को गहराइयों से देखते
खुद को पाक साफ़ और दूसरों को
दागदार बतातें हैं लोग ।
बैठकर दिल में अकेला छोड़ जातें हैं लोग
फिर पुकारते रहो नाम उनके ...
फिर नज़र नहीं आतें हैं लोग
अक्सर नज़रें चुरातें हैं लोग
फिर नज़र नहीं आतें हैं लोग...