"ग़ज़ल"
हिन्दू ढूॅंढता हूॅं न मुसलमान ढूॅंढता हूॅं!
लोगों की इस भीड़ में इंसान ढूॅंढता हूॅं!!
दिल आज-कल यारों कुछ बुझा-बुझा सा है!
दिलों में जोश भर दे वो अरमान ढूॅंढता हूॅं!!
ख़ुद-ग़रज़ी को दुनिया-दारी कहते हैं जहाॅं!
बे-ईमानों की नगरी में ईमान ढूॅंढता हूॅं!!
सभी धर्म रास्ते हैं दर-अस्ल एक मंज़िल के!
मंदिर की घंटियों में अज़ान ढूॅंढता हूॅं!!
मैं अफ़्कार के जंगल में खो-सा गया हूॅं!
'परवेज़' ख़ुद को हैरान-ओ-परेशान ढूॅंढता हूॅं!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*दर-अस्ल = वास्तव में (in fact); *अफ़्कार = विचारों (thoughts).