वो सूनी महफिल में आया एक जमाने बाद
पायलिया ने रंग जमाया एक जमाने बाद।।
आंख बचाकर सपने सारे दूर कहीं उड़ जाते थे
अबकी वो मिल कर शरमाया एक जमाने बाद।।
धुंध भरा दर्पण कोने में लावारिस था पड़ा हुआ
उसने आंचल से चमकाया एक जमाने बाद।।
जिसके एक इशारे पर ही सारे बंधन तोड़ दिए
उसने भी आंगन महकाया एक जमाने बाद ।।
अंधकार की गहरी चादर जो चंदा को लील गई
तब तारे ने पथ दिखलाया एक जमाने बाद ।।
सर्द हवा में जलते जलते रात सुलगती जाती है
बीती यादों को फिर दुहराया एक जमाने बाद।।
दुख का वो दास सफ़र है लंबा कोई छोर नहीं
सुख ने भी चेहरा दिखलाया एक जमाने बाद।।