जिंदगी हर रोज एक नई किताब लिखता है,
अगली सुबह होते ही वह अपने वजूद से मिटता है,
चाहकर भी पढ़ न पाओगे उस किताब को दोबारा,
क्योंकि वक्त के साथ उस किताब का हर पन्ना फटता है,
रह जाता है केवल उन लम्हों का उभार,
जो यादें बनकर शायद जिंदगी भर रहता है..!
----कमलकांत घिरी, मनकी, मुंगेली, छत्तीसगढ़।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




