कापीराइट गीत
सावन का महीना हो और भोले बाबा से मिलने की ईच्छा हो तो गीत गाने का मन होता है। लीजिए एक अनोखा गीत पेश है -
एक बार तेरे दर पर सिर झुकाएंगे हम
तब लुत्फ तेरे जलवों का उठाएंगे हम
शर्त ये थी कि तुम, जब मुझे बुलाओगे
चिराग-ए-रौशनी राहों में जब दिखाओगे
बन सवाली तेरे दर पर चले आएंगे हम
तब लुत्फ तेरे जलवों का उठाएंगे हम
आज दुनियां में नहीं कोई अब सानी तेरा
है तुम से ही रौशनी, है तुम से ही सवेरा
ये अमानत है तुम्हारी इसे दे जाएंगे हम
तब लुत्फ तेरे जलवों का उठाएंगे हम
ये कायनात है तेरी, है तेरा ही ये जमाल
सारे जहां पर है आज तेरा ही अमाल
बिन तेरे जहां में कोई उठता नहीं कदम
तब लुत्फ तेरे जलवों का उठाएंगे हम
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है