एक व्यक्ति की बातो से प्रभावित हो कर एक औरत ने जब उसे अपने घर खाने का निमंत्रण दिया। निमंत्रण स्वीकार कर लेने की वज़ह से, तय वक्त पर औरत उस व्यक्ति को उसी के घर से लेने आई।
उस औरत का घर ज्यादा दूर नही था इसलिए उस औरत के घर भोजन के लिए साथ-साथ चल पड़े । रास्ते में जब लोगों ने उस औरत के साथ प्रतिष्ठित व्यक्ति को देखा तो, एक प्रौढ उनके पास आया और बोला कि आप इस औरत के साथ कैसे?
उस व्यक्ति ने बताया कि वह इस औरत के निमंत्रण पर उसके घर भोजन के लिए जा रहे हैं, यह जानने के बाद उस व्यक्ति ने कहा कि आप इस औरत के घर न जाऐं आप की अत्यंत बदनामी होगी।
क्योंकि यह औरत चरित्रहीन है।
इसके बावजूद बुजुर्ग न रुके, कुछ ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। आनन फानन में गांव का मुखिया दौडता हुआ आ गया और बुजुर्ग से उस औरत के यहाँ न जाने का अनुरोध करने लगा।
विवाद होता देख उसने सबको शांत रहने को कहा, फिर मुस्कराते हुए मुखिया का एक हाथ अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और बोले क्या अब आप ताली बजा सकते हो?
मुखिया बोला एक हाथ से भला कैसे ताली बजेगी ।
इस पर प्रतिष्ठित व्यक्ति मुस्कुराते हुए बोले जैसे एक हाथ से ताली नहीं बज सकती तो अकेली औरत कैसे चरित्रहीन हो सकती है जब तक कि एक पुरुष उसे चरित्रहीन बनने पर बाध्य न करे। चरित्रहीन पुरुष ही 'उपदेश' एक औरत को चरित्रहीन बनाने में जिम्मेदार है।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद