एक दिन आए वो करीब मेरे और कहा ,
खुदको तेरे काबिल करने के लिए इस कदर सवार लू ,
मेरा लफ़्ज़ लफ़्ज़ हो साज़ कोई तुझे धुन सा उतार लू ,
तू तमाम दिन की थकी हुई , मै तमाम शब था जगा हुआ ,
थाम इस पल को यही तेरे साथ शामे गुज़ार लू ,
तुझे सजाने के लिए चांद तारो का हार लू ,
तू जाने लगे दूर कहीं तुझे प्यार से पुकार लू ,
चाहे मिले खूबसूरती बला की , सब छोड़ फकत तुझे ही हर बार लू ,
कम पड़े अगर इक जनम तुझे सौ जनम उधर लू ,
देख के मुझे बस मुस्कुराते हुए वो बोले ,
मैने इतना सब कहा तुमने क्यों कुछ नहीं बोला ,
मै गई करीब उनके और कहा ,
जो इश्क़ बयान करदे वो शब्द है ही नही यहां ,
प्यार लफ़्ज़ों में कहा , प्यार लफ़्ज़ों में कहा ।