आओ चले खेल खेलें
बात हो मजाक का
मैं कहूँ प्यार है तुझसे
तू कहे हालात का
बाग हो मौसम हो
धूप हो छांव हो
हो उसमें तू ठंडी हवा,
मैं हरा पेड़ परिजात का।
तेरी बाहें नदिया जैसी,
मैं ठंडा पानी हिलोर का
तू शरमाए तरसाए ,
सारे जहाँ में लहराए,
पाऊँ तुझमें हर खुशी,
तो बात हो साथ का।
मनोज कुमार यकता