कुछ नये हैं, और, कुछ पुराने हैं
इस महफिल में, सब, जाने माने हैं
सब के सब,मन के मतंगी हैं
कुछ के हम, कुछ हमारे दीवाने हैं
गीत, ग़ज़ल, कविता, शब्दों के जौहरी हैं
हर रचना में, जैसे, डूबते अफसाने हैं
मोहब्बत, शरारत, खुशी,गम , चुनौतियां
रचना में, जीवन के,मीठे तराने हैं
" लिखंतु" के उपवन में, भावनाओं के फूलों के
हंसते,खिलखिलाते, खूबसूरत नज़राने हैं।
सर्वाधिकार अधीन है