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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मैं तो ढलता सूरज हूं

कापीराइट गजल

  मैं तो ढ़लता सूरज हूं

मैं तो ढलता सूरज हूं यूं ढलते-ढलते ढ़ल जाऊंगा
अपनी आग में जलते-जलते ऐसे ही ढ़ल जाऊंगा

जलता, रहता हूं हर दम, मैं तो यूं ही चलते-चलते
जब आएगी शाम सुहानी संग उसके ढ़ल जाऊंगा

तन और मन में आग लिए मैं तो जलता रहता हूं
है, जलते रहना काम मेरा, मैं यूं ही जल जाऊंगा

ये कितनी सदियां बीत गई, ऐसे ही जलते-जलते
ना जाने आगे कितनी, सदियों में जलता जाऊंगा

मैं, तो जलता हूं केवल, अपने ही जीवन के लिये
लेकिन क्या मालूम था सबके लिए जल जाऊंगा

कहां पे है मंजिल मेरी ये भी मुझको मालूम नहीं
अपने उर की आग में मैं, एक दिन जल जाऊंगा

मैं, ही हूं आधार, तेरी इस, रंग-बिरंगी दुनियां का
जैसे ही ढ़लेगी शाम मेरी तब मैं भी ढ़ल जाऊंगा

गर, जीना है साथ मेरे, चलते रहो संग मेरे यादव
छूट जाएगा साथ तेरा जिस दिन मैं ढ़ल जाऊंगा


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सुभाष जी सुप्रभात सहित नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अतिसुंदर अतिसुंदर अति सुन्दर हृदयस्पर्शी ग़ज़ल 👌👌 वाह मजा आ गया।सादर प्रणाम भैया जी।आप तो इस महफिल के सूरज हैं,जो स्वयं जलकर सबको प्रकाशित करतें हैं।🌹🌹🌹

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद समदिल भाई, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

वन्दना सूद said

very emotional and heart touching wording 👌👌🙌🏻🙌🏻

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत दिल से धन्यवाद वन्दना जी।

सुप्रिया साहू said

वाह क्या कमाल का लिखा है आपने हर पंक्ति हृदय में समा गई, बहुत सुंदर रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Lekhram Yadav replied

थैंक्स सुप्रिया जी।

सरिता पाठक said

आप ढलते सूरज नहीं हैं भईया जी आप तो वो सूरज है जो स्वयं जलकर सारे संसार को प्रकाशित करता है, बहुत ही सुन्दर रचना भईया जी को सादर प्रणाम 👌🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सरिता जी और सादर नमस्कार।

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