जब मेरी गजलों का
जब मेरी गजलों का हिसाब होने लगा
शक आपकी नीयत पे जनाब होने लगा
शौक हमें भी हुआ यूं गजल सुन कर
गजल लिखने का मन जनाब होने
लगा
कितनी उम्मीद से लिखी थी गजल
हमने
छपवाने के लिए दिल बेताब होने लगा
भेजी थी गजल हमने छपवाने के लिए
छपी नहीं तो मेरा मन खराब होने
लगा
छ्प गई जब हमारी ये गजल एक
दिन
पढ़ के माथा सब का खराब होने
लगा
पेशे खिदमत है ये गजल आपको यादव
असर यूं मेरी गजल का जनाब होने लगा
लेखराम यादव
सर्वाधिकार अधीन है