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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बदली को बुलाते हैं पौधे- प्रकृति गीत - वेदव्यास मिश्र

बदली को बुलाते हैं पौधे,
पौधों के हैं दुश्मन हम सारे !!

हैं अपने अजब हालात मगर,
हम दोस्त नहीं है समझते कभी !!

क्या अपने लिए वो बरसती नहीं,
हमसे मिलने वो तरसती नहीं !!

बरसें भी तो बरसें वो कैसे,
दुश्मन हैं हम पशु-पक्षी के !!

मतलबी हैं हम इस धरती में,
हम शत्रु हैं पूरे सिस्टम के !!

जब पौधा लगाया है ना कभी,
क्या काटते शर्म नहीं आती !!

ग़र पेड़ जो ऐसे ही कटते रहे,
फिर बदली कभी न आयेगी !!

ज़रा सोचो और विचार करो,
क्या खुद से ही जी पायेंगे हम !!

क्या ऐसे ही कटने देंगे हम,
क्या कदम उठायेंगे ना कभी !!

इक पौधा लगायेंगे इस बार,
हम दोस्त बनेंगे ज़रूर इस बार !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम आचार्य जी, सुन्दर प्रस्तुति प्रेरणादायक, आज सुबह ही एक अशोक का वृक्ष वंदना जी से प्रॉमिस किया था उसके लिए रोपा है, एक आपकी रचना के नाम भी अवश्य रोपूँगा बाकी मेरा 'पीपल का पेड़' उसका क्या करूँ?

Ankush Gupta said

Bahut khoob likha

फ़िज़ा said

Bahut hi umda rachna ✍️

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, आपके नाम अनुरूप अशोक का पौधा 👌👌 वाह-वाह !! कृतज्ञ हूँ मित्र अनूज दूसरे पौधे के लिए !! रही बात "पीपल पेड़ " यानि "ऑक्सीजन प्लान्ट " पौधा तो सबके नाम ही कर दीजिए !! हमारे अनपढ़ बुजूर्ग जानते थे कि पीपल क्यों इतना महत्वपूर्ण है और लोग इसे न काटें..इसलिए डराने के लिए ही सही ..भूत-प्रेतों से कनेक्ट कर दिये मगर ये कलयुगी मानव के सामने पीपल पेड़ भी अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं !! आभार शुभाशीष नमन 🌿🌿

वेदव्यास मिश्र said

फ़िज़ा जी, सहृदय आदाब आभार !!

वेदव्यास मिश्र said

Ankush Gupta जी, स्वागत वेलकम आभार 💜💜

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