प्रकृति साहित्य से शून्य तक
प्रकृति एक किताब है
जिसे समझकर तुम्हें शून्य होना है।
नदियाँ,झरने,पवन,फल और फूल
कोई गीत, गज़ल तो कोई कविता बन
तुम्हें ग़मों में भी गुनगुनाना सिखाते हैं।
कोई बीज पतवार की चुनौतियों से जूझता
फसल से धान बनने की कोशिश करता
तुम्हारे जीवन को सही दिशा दिखाते हैं।
सूरज,चन्दा,सितारों से सजा हुआ आसमाँ
दिन से रात,अंधकार से रोशनी का सफ़र
तुम्हें जीवन के उतार चढ़ाव से मिलाता है।
अपनें परायों की मिली सौगात
एक नई किताब बन
तुम्हें हर पल निखारती है।
प्रकृति एक उलझा हुआ साहित्य है
जिसे समझकर तुम्हें शून्य होना है।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




