भोजपुरी में-
एगो कुण्डलियां छंद
के
प्रयास 🙏
चोरी आदत चोर के,सीख लिहल सब लोग।
बड़ी दूख के बात बा,बढ़ले जाता रोग।।
बढ़ले जाता रोग, बिभाग ना कहीं खाली ।
ना विभाग के नाम,कह इहां सभे बवाली।।
कह प्यासा कविराय,साध* बन* कईले ठोंढ़*।
आंख खोल के देखऽ,लउकीहें* जव-जव* चोर।।
-प्यासा
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साध-साधु पुरुष
बन-बन्द
ठोढ़-लब,होठ,ओष्ठ
लउकीहें-दिखेंगे, दिखाईं देंगे।
जव-जव-जव भर की दूरी