कविता : बिना वस्त्र के....
अगर हम लोग सभी
इंसान के तन पर
वस्त्र ही न होता तो क्या
होता हमारे मन पर
क्या हम बाहर घूमने
फिरने को निकलते होंगे ?
हम फिर एक दूसरे को कैसे
देखते और चलते होंगे ?
.... हम सभी नंगे हैं तो
किसी को कुछ न कहते होंगे
एक दूसरे को देख कर
चुप चाप ही रहते होंगे
एक दूसरे को देख कर
चुप चाप ही रहते होंगे.......
netra prasad gautam