दिल से पूछता हैं मन चाँद किधर गया।
अमावस गई क्या मेरा चाँद बिखर गया।।
मोहब्बत का दूसरा नाम इंतजार रखा।
इंतजार कटता नही अँधेरा निखर गया।।
खबर भेजने का जरिया भी ब्लॉक पड़ा।
तन्हाई के बाजार का वास्ता सिहर गया।।
दीवाना क्या करे रखकर इस महफिल में।
रौनक का दौर "उपदेश' जाने किधर गया।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद