चाँद की सादगी देखिए
दूर आसमानों में चमकता, करता प्रकाश धरती पर।
मुस्कुराए इस कदर की, प्यार लुटाए सब उस पर।।
है सादगी उसकी अतिसुंदर, सब चाहे उसे पास रखना।
वो दूर है धरती से, उसे लाए कौन यहां करना।।
निखरती गई उसकी सुंदरता, जब किए लोग उनकी तारीफ़।
वो और इतना शर्माए, हो गए घायल लोग सोची कितना ।।
जवाब नहीं उनकी अदाओं का, वो बादल में छिपे हैं।
सूरज भी चाहता है, उसे हमेशा के लिए अपना बनाना।।
डरता नहीं अंधेरों से, मिटाता रहता है हमेशा अंधेरा।
घनघोर बारिश में भी, सूर्य की तरह रोशनी फैलाए।।
देखी ज़रा उन्हें, कितना खूबसूरत है उनको बनाए।
चाँद की सादगी देखिए, वो दूर से ही अपना बनाए।।
- सुप्रिया साहू