तो चलो फिर ऐसा करते हैं, फिर से अजनबी बन जाते हैं।
तुम फिर से तमन्ना बन जाओ, हम फिर उम्मीद लगाते हैं।
चलो फिर ऐसा करते हैं, फिर संग सपने बुनने लगते हैं।
तुम मेरी राह बन जाओ, हम परियों के जंगल चलते हैं।
अजनबी से, मिलकर फिर से प्यार की कहानी लिखते हैं,
जागती आंखों से एक दूजे को फिर ख़्वाबों में दिखते हैं।
चांदनी रातों में फिर से सितारों की, महफिल सजाते हैं,
तुम झील किनारे आ जाओ आकाश को गले लगाते हैं।
हम जो भी ख़्वाब देखें इस बार, बिल्कुल सच्चा सा हो,
देखो इस बार टूटे ना एक भी, सब को सच में बदलते हैं।
रंग-बिरंगी पंखुड़ियों पर बैठकर, सपनों की बातें करते हैं,
हवा के संग-संग उड़ते उड़ते, दिल की धड़कनें सुनते हैं।
कभी चुपचाप, कभी हंसकर, साथ प्यार के नगमे गाते हैं,
चलो हम अपने ख्वाबों के सफर में हर मंजिल पा जाते हैं।
-छगन सिंह जेरठी
@chhagansinghjerthi

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




