अक्सर शिकायत होती है कि साहब नौकरी नहीं है।
पर क्या यह कोरी बकवास नहीं है?
मैने अभी अभी सुबह की अखबार पढ़ी है।
यहां नौकरियों की तो भरमार पड़ीं हैं।
पर क्या उम्मीदवारों की उम्मीदवारी की है सही दावेदारी !
क्योंकि हासिल की गईं डिग्रियां उनकी सिर्फ रहीं हैं वक्त की बरबादी।
देखो अपने मेहनत के दम पर बढ़ रही है खादी।
एक समय अपनी किस्मत पर रो रही थी बन फरियादी।
यारों..नौकरी कोई खैरात नहीं है इसकी कोई जात नहीं है।
है जिसमे काबलियत वह सबकुछ पा लेता है ।
पैसे वाला कोचिंग कोचिंग खेलता रहता
पर यूट्यूब पढ़ कोई गरीब आई ए एस अफ़सर बन जाता है।
दोस्तों कोई किसी को कुछ सीखा नहीं सकता
खुद ब खुद सीखना पड़ता है।
यह दुनियां एक युद्ध भूमि है यारों
यहां कुछ मिलता नहीं बल्कि
हालातों से लड़कर सबकुछ हासिल करना पड़ता है।
लड़ता है जो जूझता है जो परेशानियों से
वह सारा मुकाम पा लेता है।
इसलिए मैं कहता हूं.....
मेहनतकशों की है यह दुनियां
मेहनत का कोई विकल्प नहीं।
मेहनत सारे सपनों को सच कर देता
बीन इसके कुछ भी हासिल नहीं..
बीन इसके कुछ भी हासिल नहीं...