हर किसी की आंखो में
अपनी जिंदगी को
संवरते देखने की उम्मीद है, सपने
कुछ छोटी छोटी ख्वाहिशों को मार
उन ख्वाहिशों को नए नजरिए से पूरा करना है सपने
मां पापा की आंखो में
अपने बच्चे के लिए पलती उम्मीद है, सपने
कुछ अच्छे सफर के सपने
कुछ हमसफर के सपने
कुछ बेरंगी सी शामो में
कभी कुछ खुबसूरत रंग भरने है सपने
खुदको मेहनत की आग में तपाकर
उससे निखरने पर मिलने वाली जीत
और उस पर जीत का पहनाया ताज है, सपने
कभी आंखे खोल
तो कभी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से मिची
आंखो से देखे ख्वाब है सपने
जो किसी के पूरे होकर
अखबारों में छपते हैं
तो किसी के रद्दी कागजों की तरह
भंगार में बिक जाते है
कभी हासिल होकर अपना नाम ऊंचा कर इठलाते है
तो कही बिना हासिल हुए, आंखो में पानी दे जाते है
दोनो ही रंग सपनो के है
कही आंखो में चमक बन
तो कही आंसू बन,, क्योंकि सपने तो हर कोई देखता है
कभी ये सपने किसी को पूरा कर जाते है
तो कभी सिर्फ दिलासा देकर बीच मजधार छोड़
बस सपना ही रह जाते है,,
लेकिन ये सपने ये नही जानते
कि जिन आंखो ने इन्हे देखा है
उन कई आंखो में ये सपने,, अगर चमक दे जाते है
वही कई आंखे पुरी तरह सुनी कर
उनमें दर्द और छटपटाहट भर जाते है
हर नए सपने की उम्मीद उन आंखो से दूर कर जाते है
जिनमे कभी वो खूबसूरत सपने बसते थे
और अब वो टूट, सच में सिर्फ सपने ही, रह जाते है
----गीतिका पंत