मेरी सोच में हो शामिल मुझे कितना जानते हो
मेरे मन की गांठे खोल के मुझे पढ़ना जानते हो
मैं समझ में आयी तेरे मुझे लिखना जानते हो
मैं हूं ज़िन्दगी तुम्हारी मुझे कहना जानते हो
एक यकीन मेरा तुम पे मुझे देना जानते हो
मेरी रूह में उतर के मुझे जीना जानते हो ।
----डाॅ फौज़िया नसीम शाद