तूने अपनी जिम्मेदारियों का कत्ल कर दिया ।
पका कर खिचड़ी नकल को असल कर दिया ।
नींद में भी पुकार रहा ।
किस-किस के घर उजाड़ रहा।
उन सभी को बुलवाइए ।
अपॉइंटमेंट लैटर है फर्जी ।
जब तो सब की थी मर्जी।
मुझे ना दिखाओ इस परवाने को ।
सरकारी फंड पर सैर होगी,
घपलों की जांच-पड़ताल ।
वर्षों तक, टहलते -टहलते होगी।
बदल रहे हैं अधिकारी।
कोई कुछ भी ना कर पाया,
साहब के अलमारी, फ्रीज,टीवी का बिल देखो।
इस बिल का कर दो भुगतान।
भ्रष्टाचार का नहीं गाएगा गुणगान।