मैं जैसा भी हूँ मुझे वैसा स्वीकार कर लेना,
थोड़ा सा सही तुम भी मुझे प्यार कर लेना।
जाने अनजाने कभी, होती है जब मुलाकात,
कह पाता नहीं ज़बाँ से अपने दिल की बात,
तुम समझती हो, तुम ही इजहार कर लेना,
थोड़ा सा सही तुम भी मुझे प्यार कर लेना।
तुम ही हो मेरी पहली पसंद मेरे बचपन से,
सदा तुम्हें चाहा है पूरे दिल, सच्चे मन से,
मैंने किया, थोड़ा तुम भी इंतजार कर लेना,
थोड़ा सा सही तुम भी मुझे प्यार कर लेना।
है चाहत देखूँ तुम्हें अपनी दुल्हन के रूप में,
स्वप्नों, कल्पनाओं में देखता उस स्वरूप में,
तुम भी मन से एक बार वो श्रृंगार कर लेना,
थोड़ा सा सही तुम भी मुझे प्यार कर लेना।
मैं जैसा भी हूँ मुझे वैसा स्वीकार कर लेना,
थोड़ा सा सही तुम भी मुझे प्यार कर लेना।
🖊️सुभाष कुमार यादव