पहली मोहब्बत जिसे देखकर हुई।
मैं कैसे कह दूँ उसे मेरी खबर हुई।।
गर्मी के दिन आसमान की छतरी।
करीब उसके बैठा धुकुर पुकुर हुई।।
सोने में मगन रही उसे हवा न लगी।
हाथ फेरते उसमें कम्पन प्रखर हुई।।
घबराहट के मारे दिल बैठ सा गया।
इधर-उधर देखकर वो गठठर हुई।।
जान में जान आई 'उपदेश' देर में।
ज़ज्बात उभरने से पहले भोर हुई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद