न दौलत
न शोहरत
ना हीं कोई
ज़ायदाद छोड़
जाऊंगा..
हूं मैं कलम
का सिपाही
बस चंद शब्दों
की ढ़ेर
छोड़ जाऊंगा..
लोग कहते हैं कि
आप भी अच्छा
लिखते हो
मैं तो बस यही
कहता हूं कि
जो लिखाता है
ज़माना
मैं वही लिखता हूं
हूं मैं उसूलों का
पक्का
अपने धर्मों सिद्धांतों
को जीता हूं।
बस है थोड़ी सी मेहर
मुझपे मेरे रब का
इसलिए लाईनें
दो चार लिखता हूं।
कुछ दिल ने लिखाया
कुछ लोगों ने लिखाया
कुछ सम सामायिक घटनाओं
ने लिखाया।
इसलिए मैं हर बार
अपनी जज़्बात लिखता हूँ
बस शब्दों में अपनी
जज़्बात लिखता हूं...
जज़्बात लिखता हूं...