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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरा असबाब है

एक कलम और बस एक किताब है
फ़कत इतना सा ही मेरा असबाब हैं

रूह के साथ जुड़ा है मेरा यह बदन
बदन के साथ ये चेहरा भी नकाब है

भूल चुका हूँ अब तो खुद का पता मैं
क्या नाम है और कौन सा ख़िताब है

पाल रखा है हमने जिसे इस दिल में
जानलेवा वही तो मेरा बस अजाब है

प्यासे को पानी और भूखे को खाना
दास हर धरम में देना बड़ा शबाब है




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! क्या खूबसूरत लिखा है सर जी।एक कवि लिखते लिखते स्वयं को भूल जाता है और वहां पहुंच जाता जहां "मन" ले जाता है।भूल चुका हूं अब खुद का पता मैं, क्या नाम है और कौन सा खिताब है। शब्दों की खूबसूरत सजावट। सुप्रभातम!!

Shiv Charan Dass replied

यह तो आपकी इनायत है मनोज जी आभार

Shiv Charan Dass said

सुप्रभात मनोज जी आपका बहुत बहुत आभार अभिवादन

श्रेयसी said

फ़कत इतना सा हीं मेरा असबाब है। क्या कहने बहुत ख़ूब सादर प्रणाम 🙏🙏

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत आभार आपका

Shiv Charan Dass said

आपको भी प्रणाम और बहुत बहुत धन्यवाद

पवन कुमार "क्षितिज" said

बहुत ही बेहतरीन रचना

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत शुक्रिया पवन जी

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass replied

सुप्रिया जी प्रणाम एवं आपका आभार

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