बंद कर दो तुम दिखावा ज़िन्दगी मे अपनी शराफ़त का।
होगा हिसाब इक दिन तुम्हारा भी वो दिन होगा कायामत का।।1।।
अभी भी वक़्त है तौबा करलो तुम अपने सारे गुनाहों की।
ऐसा ना हो कि हर रास्ता बंद हो जाए खुदा की हिदायत का।।2।।
वह पढ़ता है अक्सर नमाजें तन्हाइयों मे जाकर तन्हा।
चमक जो है उसके चेहरे पे, वो नूर है खुदा की इबादत का।।3।।
वह मुलाजिम है बड़ी कोठी का जानता है सबके राज।
उसको पता है कोठी के हर शक्स की सारी अदावत का।।4।।
होगी ताजपोशी उनकी वो लड़कें है सारे सियासत दानों के।
सबको पता है आता नही है उनको क ख ग सियासत का।।5।।
कोई समझा दे उस गरीब को वापस ले ले अपनी शिकायत को।
यहाँ जिंदगी मिट जाती है पर फैसला आता नहीं अदालत का।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




