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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बदल गये हो : अर्पिता पांडेय

बदल गये हो मीत मेरे
अब तुम में पहले सी बात कहां
रूठ जब मैं जातीं थीं
झट से मना ले जाते थें
अब तो बात बात पर झिड़की देते हो
मन की खिड़की बन्द कर देते हो
अब नहीं रही वो पहले की रज़ा
ठीक कहते हैं लोग
प्यार मुहब्बत दो दिन की कहानी है
बाद उसके जिंदगी तो बेमानी है
साथ हम चलतें है क्यूंकि
वादा था साथ निभानें का
वरना बदल गये हो मीत मेरे
दिल के किसी कोने में पहली
मुहब्बत के निशा बाकी है
वो इकरार वो इनकार बाक़ी है
ये साथ निभानें को
तेरी एक मुस्कान काफ़ी है

✍️#अर्पिता पांडेय




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत रचना अर्पिता जी, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

Arpita pandey replied

Bahut bahut dhanyawad sir ji sadar naman hai apko

वन्दना सूद said

वाह वाह 👌👌ग़ज़ब

Arpita pandey replied

Bahut bahut dhanyawad apka ma,am

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut hi utkrasht rachna Adarneey Mam, Saadar Pranam 🙏🙏

Arpita pandey replied

Bahut bahut dhanyawad sir ji 🙏 sadar naman hai apko

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