बचपन और बुढ़ापा
बचपन और बुढ़ापा एक समान है
जीवन के मिलते-जुलते पड़ाव है
एक तरफ़ ज़िन्दगी का आग़ाज़ है
तो दूसरी तरफ़ अन्त
कोई समझ कर भी जीना नहीं छोड़ता
तो कोई समझना चाहता नहीं।
दीपक जैसा जीवन दोनों का
एक जीवन की लौ में तपने को तैयार है
दूसरा तजुर्बों की लौ में तप कर निखर चुका है
एक अपने तेज से प्रकाश फैलाने की शुरुआत में है
दूसरे का तेज धुँधला होने की तैयारी में है ।
दीपक की लौ की तरह जीवन की लौ भी साँसों तक ही सीमित है।
उम्र दोनों की अलग मुक़ाम पर ही सही
पर जीवन की यह खूबसूरत यात्रा एक समान ही है
बचपन नया जीवन लेकर आता है और बुढ़ापा नया जीवन देने के लिए ही आता है
-वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




