वक्त बदलते रियासत को छोड़ दिया।
ख्वाब की नगरी से नाता जोड़ दिया।।
बाबुल ने विदाई की नज़रे चुरा करके।
माँ ने तालीम देकर रास्ता मोड़ दिया।।
किताबों में दबाये अरमान घर छोड़े।
करीबी रिश्ते नातों ने भी छोड़ दिया।।
अब हर सुबह इम्तिहान से गुज़रती।
नई विरासत नया कानून जोड़ दिया।।
नौकरी पहचान अपनी कायम रही।
सजन सुख से 'उपदेश' जोड़ दिया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद