बचपन का मेरा दोस्त
झोपड़ी में रहने वाला
मेरे संग संग गुल्ली डंडा
खेलने वाला
बहुत जल्दी जल्दी
वह अमीर हो रहा
जमीन पर सोने वाला
डबल बेड में सो रहा
एक दिन उसके घर
जा कर बोला मैंने
बहुत जल्दी जल्दी कमाया
पैसे रुपए कैसे तू ने ?
वह बोला, तेरा दोस्त ये ऐसा बंदा है
गांजा और चरस का आज मेरा धंधा है
मैं जहां जाता हूं मेरे साथ चला कर
हर पल हर घड़ी तू भी मुझ से मिला कर
तीन चार बोरी गांजा चरस सीमा पार लगा दे
एक देश से दूसरे देश में जल्दी जल्दी पहुंचा दे
तू भी यार बहुत अमीर हो जाएगा
अच्छा खाएगा पिएगा बड़ा मजा आएगा
मैं बोला, अरे थू थू थू तू कैसा बंदा है ?
गांजा और चरस का ये तेरा धंधा है ?
किसी न किसी दिन पुलिस तुझे पकड़ेगा
जेल के अंदर तू तो यार सड़ेगा
गांजा और चरस वाला काम तो
कभी नहीं करूंगा
ये काम करने से तो
बेशक भूखे मरूंगा
मुझे मेरे सतह में तू ज़रा बहने दे
मैं एक गरीब हूं गरीब ही रहने दे
मैं एक गरीब हूं गरीब ही रहने दे.......
----नेत्र प्रसाद गौतम